श्रावण पूर्णिमा के दिन भद्रारहित काल में रक्षा बन्धन पर्व मनाने की परम्परा है। रक्षा-बन्धन के विषय में संक्रान्ति दिन एवं ग्रहणपूर्व काल का विचार नहीं किया जाता है। यधपि भद्राकाल में रक्षाबन्धन करना शुभ नहीं माना जाता है, परन्तु शास्त्रवचनानुसार आवश्यक परिस्थितिवश भद्रा को मुख छोड़कर शेषभाग में विशेषकर (भद्रापुच्छ) काल में रक्षाबन्धन कार्य करना शुभ होगा । भद्रा सुबह या शाम पड़ जाए तो इस काल में राखी नहीं बांधी जाती। मान्यता है कि रावण ने अपनी बहन सूर्पनखा से भद्रा के दौरान राखी बंधवाई थी इसलिए एक साल के भीतर ही उसका अंत हो गया। इसलिए भद्रा में राखी नहीं बांधनी चाहिए।
भाई - बहिन के प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन इस बार (20 अगस्त 2013) चतुर्दशीयुक्त पूर्णिमा की रात में मनाया जाएगा। श्रावण शुक्ल चतुर्दशी पर मंगलवार 20 अगस्त 2013 को रक्षाबंधन का त्योहार होगा।
इस दिन पूर्णिमा सुबह 10:23 बजे शुरू होकर अगले दिन बुधवार को प्रात: 7:15 बजे तक रहेगी।
21 अगस्त को पूर्णिमा त्रिमुहूर्त (144 मिनट )से कम होने से 20 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में मनाया जाएगा। 20 अगस्त को रक्षाबंधन के पर्व पर रात 8:48 मिनट तक भद्रा है।
विशेष शास्त्रों में इस पर्व के लिए भद्रा को वर्जित बताया गया है। इसलिए राखी बांधने का श्रेष्ठ समय रात्रि 8:48 से 9:10 बजे तक रहेगा। जिसमें प्रदोषकाल भी विद्यमान होगा। इसके अलावा लाभ के चौघडि़ए में रात्रि 8:48 से 9:43 बजे तक भी राखी बांधी जा सकती है। दिनाँक 21-8-13 को प्रतिपदा व्यापिनी स्नान,दान की पूर्णिमा तीन मुहूर्त से कम होने से रक्षाबन्धन मे निषेध है।
अत्रैव रक्षाबंधनमुक्तं हेमाद्रौ भविष्ये-
(सम्प्राप्ते श्रावणस्यान्ते पौर्णमास्यां दिनोदये।
स्नानं कुर्वीत मतिमान् श्रुतिस्मृतिविधानत:।।